रिपोर्टः राघवेंद्र कुमार शुक्ल
लखनऊ. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह से सबका साथ सबका विकास का नारा दिया है, उसे एक बार फिर जमीन पर दिखाने के लिए भाजपा के पास सुनहरा मौका है। इसका प्रभाव न केवल तात्कालिक होगा, बल्कि विपक्षी पार्टियों के मुंह भी बंद हो जाएंगे। इसे देखते हुए ये माना जा रहा है कि दलित मुद्दों पर घिर रही भाजपा किसी भी तेज तर्रार दलित नेता को राज्यसभा भेज सकती है। इससे न केवल दलितों में सकारात्मक संदेश जाएगा, बल्कि उन राजनीतिक दलों के लिए करारा जवाब भी होगा, जो दलितों को राज्यसभा भेजने से बचती रही हैं।
हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश में दलित मुद्दों पर बोलने वाले नेताओं की भाजपा को जरूरत भी है। ऐसे में राजनीतिक जानकारों का भी ये मानना है कि किसी ऐसे नेता को भाजपा राज्यसभा भेज सकती है, जो दलित मुद्दों पर यूपी में सपा-बसपा और कांग्रेस को कटघरे में खड़ा कर सके। यह भी कहा जा रहा है कि बसपा और सपा ने दलितों के साथ जिस तरह से व्यवहार किया है उसको भी भाजपा आगामी चुनाव में मुद्दा बना सकती है। ऐसे में किसी मुखर और मीडिया में फेस के रूप में जाने जाने वाले नेता को भाजपा तरजीह दे सकती है।
लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार काशी प्रसाद यादव कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में नौ नवंबर को राज्यसभा की दस सीटों के लिए चुनाव होने हैं। यह चुनाव एक तरफा होता हुआ दिखाई दे रहा है। भाजपा को इससे सबसे अधिक फायदा है। मैं पिछले तीन दसक से पत्रकारिता में हूं। ऐसा मौका पहली बार आया है कि भाजपा इतनी बड़ी संख्या में राज्यभा सीट पर अपने नेताओं को भेजने की हैशियत में है।
किसी दलित नेता के राज्यसभा भेजे जाने के सवाल पर काशी प्रसाद यादव कहते हैं कि यह तो मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को तय करना है, लेकिन यदि वह यहां से किसी भी दलित नेता को राज्यसभा नहीं भेजते हैं, तो यह मुद्दा चुनाव में बन सकता। भाजपा के लिए यह अवसर भी है कि वह दलित राजनीति पर दो कदम आगे बढ़कर किसी दलित नेता को राज्यसभा भेजे। मायावती और अखिलेश यादव ऐसा नहीं कर सकते हैं। सपा के पास केवल एक सीट है। इस पर राम गोपाल यादव राज्यसभा जा रहे हैं। बसपा के पास संख्या बल नहीं है। ऐसे में बसपा किसी को नहीं भेज सकती है। कांग्रेस का भी यही हाल है, ऐसे में भाजपा के पास ही संख्याबल और मौका है कि वह दलितों की हितौषी पार्टी बनकर उभरे।
दैनिक जागरण समेत कई अखबारों में पत्रकार रहे उदय यादव कहते हैं कि भाजपा निश्चित रूप से दलित और पिछड़े वर्ग के नेताओं को राज्यसभा भेजेगी। भाजपा दलित और पिछड़े वर्ग के नेताओं को कई जिम्मेदारी भले ही न दे, लेकिन यह दिखावे की राजनीति करने में पीछे नहीं रहती है। दलित और पिछड़े वर्ग के नेता लोकसभा या राज्यसभा जाकर अपना काम नहीं करते हैं। कोई भी दलित या पिछड़ा नेता सदन गया हो और वह जिम्मेदारी से मुद्दे उठाता हो, ऐसा भाजपा में तो नहीं देखा गया। फिर भी चूकि एक साल बचा है विधानसभा चुनाव में, दोनों ही वर्ग को साधने के लिए भाजपा ऐसा करेगी ऐसा मेरा अनुमान है।
निष्पक्ष दिव्य संदेश के राजेंद्र गौतम कहते हैं कि पिछले कई महीनों से देखा जाए दलित वर्ग काफी नाराज है। भाजपा दलित समाज के नेताओं को राज्यसभा भेज कर इस डैमेज को कंट्रोल करने की कोशिश कर सकती है। सपा-बसपा और कांग्रेस एक हो जाए तो एक और नेता राज्यसभा जा सकता है। हालांकि इसकी संभावना कम ही दिख रही है।
कुछ इनपुट- डीडीसी न्यूज़ एजेंसी से